हे प्रभु ये कैसी कहानी,कितने किरदार बनाओगे।
लाखो को तो बुला लिए है,और कितने बुलाओगे।।
ऐसी भी क्या जल्दी थी कि, अभी फिल्मांकन करना था।
तुम तो खुद अथा समृद्ध हो,तुम्हे मंदी से क्या डरना था।।
पृथ्वी के तो चलचित्र को,तुमने ही रुकवाया है।
फिर तुम ही क्यू बोर हो गए,ये कैसी अविरल माया है।।
चरित्रों से मन ना भरा तो, नायकों को भी बुलवा ही लिए।
तुम्हारे पास तो अनंत नायक, पृथ्वी के क्यों भला लिए।।
इन दोनों को पृथ्वी लोक में, हम तो भूल ना पाएंगे।
तुम इनसे आनंद उठा लो, हम तो दुख ही मनाएंगे।।
-स्मृति में
-चिंटूजी ,इरफान जी
-अरुण गंघ।
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